Sunday 2 September 2012

इस गांव के लोग थाना नहीं जाते


कभी अपराध और आंतक के लिए कुख्यात गावां का विशनीटीकर गांव विकास की नयी गाथा गढ़ रहा है. मामला विकास का हो या फिर शांति का, इस गांव ने आम सहमति को हथियार बनाकर मिसाल कायम किया है. गावां प्रखंड मुख्यालय से दस किलोमीटर की दूरी पर बसा यह गांव काफी पिछड़ा हुआ गांव माना जाता था. अस्सी और नब्बे के दशक में गांव में अपराध इस कदर बढ़ गया था कि लोग बाग इस तरफ फटकने से घबराते थे. इसी बीच 1993 में यहां ग्रामीणों ने राजकुमार यादव और बैजनाथ यादव के नेतृत्व में ग्राम सभा का गठन किया और इस सभा ने विशनीटीकर की तकदीर बदल दी.
विनोद पांडेय
जिस गांव में आये दिन विवाद होता था. पुलिस और ग्रामीणों के बीच लुका छिपी का खेल चलता रहता था. उस गांव में ग्राम सभा के गठन के बाद पिछले 18 वषों से एक भी मामला थाना नहीं पहुंचा. ऐसी बात नहीं कि मामला को थाना जाने से रोका जाता है. बल्कि परिस्थियां ऐसी बदल गयी कि अब थाना जाने की जरूरत नहीं होती.
    गिरिडीह जिले गावां प्रखंड के विशनीटीकर गांव में हर सप्ताह ग्राम सभा की बैठक होती है जहां विवादों को आपस में बैठ कर सुलझा लिया जाता है. पिछले 18 वषों में इस सभा ने 200 से ज्यादा विवाद निबटाये. सभा अपराध के अनुरूप अपने स्तर से दोषी को दंडित भी करती है. यह गांव मिश्रित आबादी की बस्ती है. जहां हरिजन, मुस्लिम, यादव, ब्राrाण जाति के करीब दो हजार लोग रहते हैं. किंतु गांव में जातीय विवाद और द्वंद का अब नामोनिशान नहीं है. विशनीटीकर की यह सभा केवल विवादों के निबटारे तक ही सीमित नहीं है बल्कि गांव के विकास के लिये सरकारी राशि की भी मुहताज नहीं.

श्रमदान से खोद डाले तालाब
श्रमदान से यहां लोगों ने पालमो तालाब, खां आहर और गुडरी तालाब का निर्माण किया और उसकी मरम्मत की. इस तालाब से भीषण गरमी में भी यहां फसल लहलहा रही है. ग्रामीण सजग हुए तो मनरेगा और कई योजनाओं की अच्छी तसवीर झलक रही है. सरकारी मदद से गांव में 13 कूप, 5 चापानल लगाये गये. जिस गांव में कभी कायदे की पगडंडी नहीं थी, वहां मालडा से नीमाडीह तक पक्की सड़क है. गुणवत्ता भी ऐसी कि तीन वर्ष बाद भी सड़क चकचक करता है.
ग्राम रक्षा दल के सहयोग से गांव में सखुआ,महुआ के करीब 20 हजार वृक्ष सुरक्षित हैं. इसी तरह शिक्षा पर भी अब गांव में विशेष बल है. ग्राम सभा में ही विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति पर चर्चा होती है व खर्च जन सहयोग से उठाया जाता है. दस वर्ष पूर्व ही गांव में बिजली आ गयी. कई मायने में विशनीटीकर अन्य गांव के लिए रोल माडल बन गया है.
सामाजिक सौहार्द का प्रतीक है गांव
विशनीटीकर गांव सामाजिक सौहार्द का प्रतीक है. ग्राम सभा के माध्यम से विवादों का निबटारा होता है. इसमें सभी ग्रामीण व गण्यमान्य लोग हिस्सा लेते हैं. गांव में हर पक्ष को उचित न्याय मिलता है. जिससे गांव में शांति व सौहाद्र्र बना रहता है. गांव में कभी अनावश्यक तनाव नहीं हो पाता है. ग्राम सभा अपने स्वच्छ कार्यो के कारण गांव में श्रद्धा का केंद्र बनी हुई है. हमने दूसरों के लिए मिसाल बनाया है.
बैद्यनाथ यादव, जिप सदस्य व अध्यक्ष ग्रामसभा
हर मुश्किल का निकलता है रास्ता
विशनीटीकर गांव में पंचायत चुनाव के पूर्व से ग्राम सभा फैसले लेती रही है व मामलों का निबटारा करती रही है. यहां के विवादों व अन्य प्रकार के मामलों को निबटाने में दिक्कत नहीं होती है, क्योंकि हमें ग्राम सभा का भरपूर सहयोग मिलता है. ग्राम सभा के माध्यम से मनरेगा कूप, तालाब, सड़क आदि का चयन भी सही स्थान पर होता है, जिससे विवाद की स्थिति उत्पन्न नहीं होती है.
आरती देवी, मुखिया, नीमडीह
ग्राम सभा का कार्य सराहनीय
मैं गावां में एक सप्ताह पूर्व आया हूं. उक्त गांव जाने का मौका नहीं मिला है, लेकिन उक्त गांव के बारे में सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगा. गांव में आपस में ग्रामीण मिलकर फैसला करते हैं, यह काबिले तारीफ है. इस कार्य से गांव में पंचायती राज की सार्थकता सिद्ध हो रही है. ग्रामीणों की एकजुटता से विकास कार्य भी धरातल पर अपने वास्तविक रूप में उतर सकता है. हर गांव को ऐसा बनाने का प्रयास होना चाहिए.                
                          प्रभाकर मिर्धा, बीडीओ, गांवा 
(पंचायतनामा से साभार)

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